गाँधी जी का सबसे करीबी मित्र जिसने उन्हें धोखा दिया

गाँधी जी का एक बहुत ही करीबी मित्र था जिसपर गाँधी जी आँख बन्द कर के विश्वास किया करते थे। जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जो बचपन से ही उनके साथ रहा था। उनके इस मित्र में वो सारी बुराइयाँ थी जो एक गलत व्यक्ति मे होतीं है। किन्तु गाँधी जी का मानना था कि वह उनके साथ रहकर सुधर जाएगा। वह गाँधी जी को डरपोक तथा स्वयं को बहादुर कहा करता था। वह गाँधी जी को यह कहकर मांस खाने के लिए उकसाया करता था कि मांस खाने से वह उसकी तरह निडर व बहादुर हो जाएंगे। एक बार तो उसने गाँधी जी को मांस खिला भी दिया था परन्तु उसके बाद गाँधी जी ने कभी मांस को छुआ तक नहीं।
गाँधी जी के इस दोस्त का नाम शेख महताब था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में वहां रह रहे भारतीयों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। तो गाँधी जी ने अपने इस मित्र को भी वहां बुला लिया। वहां पहुंचने पर गाँधी जी ने घर की सारी जिम्मेदारी शेख महताब को सौप दी। कुछ दिनों में शेख इसका गलत फायदा उठाने लगा। वह सबके ऊपर अपना गाँधी का दोस्त होने का रौब झाड़ता था। खुद ऐयाशी करता और दूसरों पर आरोप लगाता था। गाँधी जी इन सब बातों से अनजान थे। एक बार तो उसने गाँधी जी के साथ काम करने वाले एक क्लर्क पर लोगों से गाँधी के नाम पर पेसे ऐंठने का झूठा आरोप लगा कर उसे नोकरी से निकलवा दिया। गाँधी जी के घर में सभी लोग एक परिवार की तरह रहा करते थे कोई नौकर नहीं था। लेकिन शेख महताब उनके साथ नौकरों की तरह बर्ताव किया करता था। एक दिन गाँधी जी का रसोइया 12 बजे उनके दफ्तर गया और कहने लगा कि आप अभी घर चलिए आपको कुछ दिखाना है इस पर गाँधी जी ने कहा कि मे 1 बजे खाना खाने आऊंगा तभी बता देना, इस पर रसोईये ने कहा कि नहीं आप अभी चलिए बहुत जरूरी है। जब गाँधी जी रसोईये के साथ घर पहुंचे तो रसोईये ने गाँधी जी को शेख महताब का कमरा खुलवाने को कहा। जब गाँधी जी ने दरवाजा खटखटाया तो कोई हलचल नहीं हुई। इस पर गाँधी जी ने दूसरी बार जोर से दरवाजा खटखटाया तो शेख ने दरवाज़ा खोला। दरवाजा खुलते ही गाँधी जी चकित रह गए कमरे में एक औरत थी। इस पर गाँधी जी ने गुस्सा हो कर शेख को तुरंत घर छोड़ देने को कह दिया।किन्तु शेख ने इस बात पर गाँधी को धमकाते हुए कहा कि अगर उन्होंने एसा किया तो वह उनके बारे मे लोगों को सब कुछ बता देगा। इस पर गाँधी जी ने कहा कि अगर उसने अभी घर नहीं छोड़ा तो वह पुलिस को बुलाएंगे। तब जाकर शेख ने अपनी गलती मानी और घर छोड़ कर चला गया। बाद में गाँधी जी को अपनी उसे सुधारने वालीं सोच पर पश्चाताप हुआ। फिर उन्होंने उस क्लर्क को चिट्ठी लिखकर उससे भी माफ़ी मांगी और दोबारा काम शुरू करने का आग्रह किया। 

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