भगत सिंह को बचा सकते थे गाँधी जी ?
आजकल आपको देश के हर गली, मोहल्ले, कस्बों व शहरों मे गाँधी जी एवं भगतसिंह के बारे में ज्ञान बांटने वाले लोग मिल जाएंगे। लेकिन वास्तविकता मे ये गाँधी जी एवं भगत सिंह को कितना जानते हैं ये उन्हें खुद भी नहीं पता है। इन्हीं के नाम पर हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीति चमकाने में लगा है। कोई इनकी विचारधारा के विरोधी है तो कोई समर्थक। देश में इन महापुरुषों की छवि बिगाडने की भरपूर कोशिश की जा रही है। आज देश में भगत सिंह बनने की बातें तो चाय की दुकान पर बैठा हर लफद्दूलाल करता है लेकिन उनके आदर्शो को कोई नहीं मानता। क्योंकि वो राजनीतिक दलों के सिखाये बताये ज्ञान के बल पर भगत सिंह बनना चाहते हैं। अपना दिमाग लगा कर खुद से कुछ पढ़ लिख कर कुछ जानने की कोशिश नहीं करते हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि देश का हर युवा समझता है कि हिंसक होकर लोगों को मार काट कर ही भगत सिंह बना जा सकता है। और यह वह अपने आप से नहीं समझता है उसे यह समझाया जा रहा है। इससे भी दुर्भाग्य की बात तो यह है कि भगतसिंह तो हर कोई बनना चाहता है लेकिन गाँधी कोई नहीं। सही भी है एक गाल पर थप्पड़ खा कर दूसरा गाल आगे कौन करना चाहे