विद्यार्थियों के नाम जैल से भगत सिंह का पत्र।

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की ओर से जैल से भेजा गया यह पत्र 19 अक्तूबर 1929 को पंजाब छात्र संघ लाहौर के दूसरे अधिवेशन में पढ़कर सुनाया गया था। अधिवेशन के सभापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। जो 22 अक्तूबर, 1929 को 'द ट्रिब्यून' नामक अखबार में प्रकाशित हुआ था।

इस पत्र में वे लिखते हैं, इस समय हम नौजवानों से यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठाएं। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण काम है। आने वाले लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस देश की आजादी के लिए जबरदस्त लड़ाई की घोषणा करने वाली है। राष्ट्रीय इतिहास के इन कठिन क्षणों में नौजवानों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है। 
क्या परिक्षा की इस घड़ी में वे उसी प्रकार की दृढ़ता और आत्मविश्वास का परिचय देने से हिचकिचाएँगे? नौजवानों को क्रांति का संदेश देश के कोने-कोने में पहुँचाना है। फैक्टरी, कारखानों के क्षेत्रों में, गंदी बस्तियों और गांवों की जर्जर झोपड़ियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस क्रांति की अलख जगानी है, जिससे आजादी आएगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण अंसकद हो जाएगा। आज देश के प्रति अपनी श्रद्धा और शहीद यतींद्रनाथ दास के बलिदान से प्रेरणा लेकर यह सिद्ध कर दें कि हम स्वतंत्रता के इस संघर्ष में दृढ़ता से टक्कर ले सकते हैं। 

स्रोत - 
भगत सिंह जैल डायरी - p. No. - 56

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