गाँधी जी की कमाल की क्षमाशीलता एवं सेवा भावना।
गाँधी जी की विद्यालयी शिक्षा पूरी हो गई थी उनकी लंदन जाने की तैयारियां भी पूरी हो गई थी। कुछ रूपये पैसे का इंतजाम भी हो गया था और बाकि के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने साथ मे रख लिये थे। लेकिन जब वे राजकोट से चलकर कर बंबई पहुचे तो पता चला कि समुद्र में तूफान उठा हुआ है। इसके बाद 5-6 महीने बाद ही जाना हो पाएगा। गाँधी जी के पास वापस राजकोट लौट जाने के सिवा कोई चारा नहीं था। उन दिनों गाँधी के बहन बहनोई बम्बई मे रहा करते थे। तो उन्होंने अपना सारा रुपया पैसा और गहने अपने बहनोई के पास रख दिए और राजकोट लौट गए। काठियावाडी बनिया समाज गाँधी जी के लंदन जाने के खिलाफ था। लेकिन गाँधी जी और उनके बड़े भाई लक्ष्मी दास गाँधी ने समाज के लोगों की एक ना सुनी। इसीलिये गाँधी जी वा उनके परिवार को समाज का विरोध झेलना प़डा तथा उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया । 5 महीने बाद गाँधी जी लंदन जाने के लिए बम्बई पहुचे तो अपने बहनोई के घर गए और अपना रुपया पैसा और गहने मांगे। तो उनके बहनोई ने यह कहते हुए रुपया पैसा और गहने लौटाने से इन्कार कर दिया कि समाज ने तुम्हारा बहिष्कार किया है औरअग र मेंने तुम्हें रकम लौटा