क्यों गए थे गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका?
लंदन से लौटने के बाद गाँधी जी एक पास शुदा बैरिस्टर हो गए थे। इसीलिए परिवार के लोगों की उम्मीदें उनसे बढ़ गई थी। खास कर उनके भाई लक्ष्मी दास गाँधी की। उन्हें लगने लगा था कि मोहनदास के लंदन से कानून पढ़ कर आने के बाद अब घर में रुपया-पैसा आने लगेगा। इसीलिए गाँधी जी जब लंदन से लौटे तो उनके भाई ने घर में सारे इंतजाम अंग्रेजो की तरह करवा दिये थे। जिससे घर के खर्चों में काफ़ी इजाफ़ा हो गया था। लेकिन जब गाँधी जी लौटे तो उन्हें सिर्फ इंग्लैंड के कानून की ही जानकारी थी। हिन्दुस्तान के कानून को समझने के लिए उन्हें अभ्यास की आवश्यकता थी इसीलिए वे बंबई चले गए। वहा उनके मित्र ने उन्हें बताया कि कोई भी मुकादम लेने के लिए उन्हें बिचौलियों से संपर्क करना होगा और उन्हें दलाली की रकम देनी होगी जो गाँधी जी को मंजूर नहीं था। कुछ दिनों में ही उन्हें उनका पहला मुकदमा मिला जो बहुत ही साधारण सा था। इसमे भी बिचौलिये ने उनसे अपनी रकम मांगी लेकिन गाँधी जी ने मना कर दिया। पहले दिन जब गाँधी जी अदालत गए तो प्रैक्टिस नहीं होने के कारण कुछ सवाल जवाब नहीं कर पाए और उसी दिन उन्होंने वह मुकदमा छोड़ दिया और जो ₹30 फीस ली