क्यों महात्मा गाँधी को कर दिया था अपनी ही समाज ने बेदखल?
बात है 1887 की, जब गाँधी जी ने अपनी विद्यालयी शिक्षा पूरी कर भावनगर के श्यामलदास महाविद्यालय में दाखिला लिया। श्यामलदास महाविद्यालय उस समय के निम्न स्तरीय महाविद्यालयों में से एक था। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से गाँधी जी ने श्यामलदास महाविद्यालय मे दाखिल लिया था। अपना पहला सेमेस्टर पूरा होने के बाद गाँधी जी घर आये हुए थे। उन्हीं दिनों गाँधी जी के पिता जी के एक करीबी मित्र जोशी जी का उनके घर आना हुआ। गाँधी जी के परिवार से अच्छे संबंध होने की वजह से पिता की मृत्यु के बाद भी जोशी जी उनके घर मिलने आया करते थे। जब उन्होंने गाँधी जी से उनकी पढ़ाई के विषय में जानकारी ली तो उन्होंने गाँधी जी के बड़े भाई को कहा कि ज़माना बदल गया है और श्यामलदास एक निम्न स्तर का महाविद्यालय है। फिर गाँधी जी से कहा कि अगर तुम अपने पिता की तरह किसी रियासत मे दीवान बनना चाहते हो तो लंदन जाकर कानून की पढ़ाई करो। दरअसल जोशी जी का बेटा भी लंदन में कानून पढ़ रहा था। तो उन्होंने गाँधी जी के बड़े भाई को आश्वासन दिया कि उनका बेटा वहा पहले से ही है जो मोहन दास को किसी भी प्रकार की परेश