बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान "नाथूराम गोडसे देशभक्त था" कितना सही है?
आजकल देश में गाँधी विरोधी एवं गोडसे समर्थक बढ़ते जा रहे हैं। गोडसे को नायक बनाने की कोशिश की जा रही है जो कि एक सोची समझी साजिश के तहत कट्टरपंथी लोगों के द्वारा किया एवं लोगों को समझाया जा रहा है। जैसा कि हाल ही में भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संसद में नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहले भी गोडसे को देशभक्त कह चुकी है। जो प्रज्ञा सिंह ठाकुर खुद भीमा कोरेगांव बम धमाकों की आरोपी है एवं देश के शहीदों का अपमान करना भी जिसके लिये समान्य है, वो आज संसद भवन में देशभक्ति के प्रमाणपत्र बांट रही है। जिन लोगों के मन में सिर्फ नफ़रत बसती हैं वो लोगों को समझा रहे हैं कि गोडसे देशभक्त था। दरअसल गोडसे की विचारधारा को मानने वाले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे लोग गाँधी जी की विचारधारा को कुचल देना चाहते हैं। ये लोग देश को हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई मे बांट देना चाहते हैं। अपने जीवन के शुरुआती दौर में गोडसे गाँधी जी की विचारधारा को मानने वाला बालक था अपने विद्यालयी जीवन में वह गाँधी जी को बहुत मानता था एक बार गाँधी जी के द्वारा चलाए जा रहे एक आन्दोलन मे गोडसे की मुलाकात सावरकर से हुई जिसके बाद उन्होंने कभी किसी आन्दोलन में हिस्सा नहीं लिया और उसके बाद उन्होंने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ले ली। सावरकर से मिलने के बाद ही गोडसे एक कट्टर विचारधारा का व्यक्ति हो गये था। गाँधी जी की विचारधारा सत्य, अहिंसा एवं सर्वधर्म सर्वोपरी वालीं थी। इसके विपरित गोडसे की विचारधारा स्वयं धर्म सर्वोपरी एवं साम्प्रदायिक कट्टरपंथी वालीं थी। गोडसे की विचारधारा के लोग एक ओर तो मुसलमानों को भी नहीं चाहते थे और दूसरी ओर वह देश का बंटवारा भी नहीं चाहते थे। वह चाहते थे कि देश का बंटवारा भी ना हो मुस्लिम समुदाय देश भी छोड़कर चले जाए। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि वे देश छोड़कर जाए भी तो कहां?
देश के बंटवारे मे जितना हाथ जिन्ना का है उससे कहीं अधिक गोडसे की विचारधारा के लोगों का है। एक ओर गाँधी जी ने सम्पूर्ण भारत को एक साथ लाकर कई बड़े बड़े आन्दोलन किए और जैल गए। इसके विपरित गोडसे ने ना तो कभी कोई आन्दोलन किया ना ही किसी आन्दोलन का हिस्सा बने और ना ही देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ कोई विद्रोह किया। गोडसे और उनकी विचारधारा के लोग हमेशा ही गाँधी जी की विचारधारा के विरोधी रहे हैं। तो क्या फिर गोडसे को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जेसे लोगों द्वारा देशभक्ति का तमगा सिर्फ गाँधी जी की हत्या के लिये ही दिया जा रहा है। जब गाँधी जी और उनके अनुयायी देश की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ी हुकुमत से लड़ रहे थे तो गोडसे एवं उनकी विचारधारा के लोग देश को हिन्दू मुसलमान मे बांट रहे थे।
अब निर्णय आप करे कि क्या गाँधी जी का हत्यारा कभी देशभक्त हो सकता है?????
देश के बंटवारे मे जितना हाथ जिन्ना का है उससे कहीं अधिक गोडसे की विचारधारा के लोगों का है। एक ओर गाँधी जी ने सम्पूर्ण भारत को एक साथ लाकर कई बड़े बड़े आन्दोलन किए और जैल गए। इसके विपरित गोडसे ने ना तो कभी कोई आन्दोलन किया ना ही किसी आन्दोलन का हिस्सा बने और ना ही देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ कोई विद्रोह किया। गोडसे और उनकी विचारधारा के लोग हमेशा ही गाँधी जी की विचारधारा के विरोधी रहे हैं। तो क्या फिर गोडसे को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जेसे लोगों द्वारा देशभक्ति का तमगा सिर्फ गाँधी जी की हत्या के लिये ही दिया जा रहा है। जब गाँधी जी और उनके अनुयायी देश की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ी हुकुमत से लड़ रहे थे तो गोडसे एवं उनकी विचारधारा के लोग देश को हिन्दू मुसलमान मे बांट रहे थे।
अब निर्णय आप करे कि क्या गाँधी जी का हत्यारा कभी देशभक्त हो सकता है?????
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